ANKUR...Walking awake...Need a break!
Wednesday, November 4, 2009
उम्मीदें
उस
एक
शमा
के
खातिर...
हम
कितनी
बार
जले ,
फिर
भी
ख्वाबों
में...
उनकी
ही
चाहत
के
गुल
खिले,
बस
इंतज़ार
है
अब
तो...
कब
समझेगी ...
वो
इस
दिल
की
खामोश
धडकनों
कों...
जिनका
चलना
है...
उनकी
ही
आरजू
के
सिलसिले.
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