किस्मत की कलम को तोड़ ना सका,
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका,
जो हाथ उठाये थे तेरी दुआ में.....,
उन्हें किस्मत के खातिर जोड़ ना सका,
किस्मत को छोड़ दिया....पर तुमहें छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका।
तुम्हारी याद में सब कुछ भुला बैठा,
जमीं से लेकर आसमां लुटा बैठा,
तुमने छोड़ दिया मेरा साथ......थाम लिया खुशियों का हाथ,
मैंने तोड़ दी हर दर्द के अंजाम की जेंजीरें...
पर तुम्हारे खुशियों के धागों को तोड़ ना सका,
मैंने छोड़ दिया साँसों का साथ....थाम लिया खामोशी का हाथ,
पर तेरी यादों के आशियों को कभी छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका॥
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका ।
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका,
ReplyDeleteइसके चलने के रुख को मोड़ ना सका,
जो हाथ उठाये थे तेरी दुआ में.....,
उन्हें किस्मत के खातिर जोड़ ना सका,
बंधन तोड़ने के लिए नही होते साहब, जोड़ने की लिए होते है.........
अच्छा लिखा है आपने, सुंदर अभिव्यक्ति
bahut sundar..
ReplyDeleteyou have got talent buddy.. looks like the words are straight from your heart..
do stop by here sometime --
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बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteउत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
ReplyDeleteनियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।
uttam ati uttam swagatam.................
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना है।
ReplyDeletekismat kee kalam ko koi rok nahi saka. hoi hai wahi jo ram rachi rakha. narayana narayan
ReplyDeleteaapki kavita man ki anant gahraaiyo ko chhoote hue hriday ko spandit kari hai....man prasann hua aapki ye pankitiya padhke.
ReplyDeleteDard ka rishta dil se hai or bhagvan kare aapki in chhando ki gahraai us tak sampreshit ho jo aapke antar me basa hai....