जब कभी मरना चाहूं तब जिंदगी से मुलाकात होती है...
पर जब भी जिंदगी को चाहूं तब सिर्फ़ बरसात होती है...
धुल जाते हैं जिसमे सब रंग ख्वाबों की तस्वीरों के ,
और हर तस्वीर में अधूरापन ही सौगात होती है...
जब भी भागना चाहूं अपनी ही परछाई से,
तब हर पल रौशनी मेरे साथ होती है...
पर जब भी साथ चाहूं अपनी परछाई का,
तब हर तरफ़ काली अँधेरी रात होती है...
जब भी ओढ़ना चाहूं खामोशी की चादर को,
तब दूर किसी की आँहों की आवाज होती है...
कर देती है हमेशा गम को जो रुखसत,
फिर से एक जिन्दगी की शुरुआत होती है...
Thursday, February 26, 2009
Friday, February 20, 2009
शेर या ....दर्द
धडकनों का दर्द... सुनने वालों का सलाम बन जाता है,
दिल का लहू.... पीने वालो का जाम बन जाता है,
हर जिंदगी कुरबान उनकी चाहत की तमन्ना में,
यही इस जिंदगी का पैगाम बन जाता है.
दिल का लहू.... पीने वालो का जाम बन जाता है,
हर जिंदगी कुरबान उनकी चाहत की तमन्ना में,
यही इस जिंदगी का पैगाम बन जाता है.
Saturday, February 7, 2009
किस्मत...प्यार का आगाज या अंजाम
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका,
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका,
जो हाथ उठाये थे तेरी दुआ में.....,
उन्हें किस्मत के खातिर जोड़ ना सका,
किस्मत को छोड़ दिया....पर तुमहें छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका।
तुम्हारी याद में सब कुछ भुला बैठा,
जमीं से लेकर आसमां लुटा बैठा,
तुमने छोड़ दिया मेरा साथ......थाम लिया खुशियों का हाथ,
मैंने तोड़ दी हर दर्द के अंजाम की जेंजीरें...
पर तुम्हारे खुशियों के धागों को तोड़ ना सका,
मैंने छोड़ दिया साँसों का साथ....थाम लिया खामोशी का हाथ,
पर तेरी यादों के आशियों को कभी छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका॥
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका ।
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका,
जो हाथ उठाये थे तेरी दुआ में.....,
उन्हें किस्मत के खातिर जोड़ ना सका,
किस्मत को छोड़ दिया....पर तुमहें छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका।
तुम्हारी याद में सब कुछ भुला बैठा,
जमीं से लेकर आसमां लुटा बैठा,
तुमने छोड़ दिया मेरा साथ......थाम लिया खुशियों का हाथ,
मैंने तोड़ दी हर दर्द के अंजाम की जेंजीरें...
पर तुम्हारे खुशियों के धागों को तोड़ ना सका,
मैंने छोड़ दिया साँसों का साथ....थाम लिया खामोशी का हाथ,
पर तेरी यादों के आशियों को कभी छोड़ ना सका,
किस्मत की कलम को तोड़ ना सका॥
इसके चलने के रुख को मोड़ ना सका ।
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