Friday, August 14, 2009

मिलन एहसासों का ...

कभी मैं ये सोचता हूँ कि लोग एक खुशी के लिए कितने गम उठाते हैं और कभी कभी वो खुशी भी नसीब नही होती। कोई बात नही शायद यही जिंदगी हैं । महान शायर 'गालिब' ने सही ही कहा है -
किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ,
किसी को जमी नहीं मिलती , तो किसी को आसमां नहीं मिलता।
मेरी ये पंक्तियाँ भी कुछ उसी खुशी का जिक्र करती हैं-
हर मिलन बस एहसासों का अन्तराल है,
जिसमें डूबते एहसासों को किनारा मिल जाए,
बस मोतियों और नगमों की बारिश हो ,
दिल कहे ये जिंदगी बस यहीं रुक जाए।

3 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. usse ek gaana yaad aa gaya...

    Jaane woh kaise log the jinke pyar ko pyar mila!
    Humne to jab kaliyan maangi kaanto ka haar mila!!
    ...................................................................

    ReplyDelete
  3. @Ankur
    itni kam umra me apki itni sundar panktiyon ki rachna ki kala saraahniya hai mitr .

    @Anitesh
    aap bhi bade chhupe rustam nikle .. :)

    ReplyDelete